बिट्टू
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बिट्टू!!!
का री नादान गुड़ियाँ,
चल पास आ मेरे
तेरी धमा चौकड़ी थमती नहीं
तेरे बालों में आ तेल लगा दूँ
कसकर एक जुड़ा बना दूँ
बींधते है जो नज़र तुझे
उन ऩजरों से बचाकर
माथे में एक काला टीका लगा दूँ
आहह....!!!
अम्माँ दुखता है
छोड़ मुझे,
यह कड़वापन मुझे नहीं भाता
इस सरसों से तू पूरी ही तल ले,
मैं चली खेलने बाहर
आज गुड़ियाँ की मेरी शादी है
आँगन में शहनाई बजेगा
राधा का गुड्डा
दूल्हा बनेगा
तू भी आना अब्बा संग
हल्दी चंदन का लेप लगाकर
देकर जाना कोई शगुन,
सुनकर उसकी बातों को
मन अधीर हो उठा..।
बिटिया एक दिन जाएगी तू भी ऐसे
राजा दूल्हा तेरा भी आयेगा
छोड़ ड़योढ़ी तक तुझको
अब्बा तेरा वापस आयेगा..।
आँख नचाकर कहा उसने..
" ना री अम्मा ना ना ना"
मैं ना चाहूँ कोई दूल्हा
नाही चाहूँ बंगला, गाड़ी
तेरा आंचल है सबसे प्यारा,
ले लगा दे कड़वा तेल,
माथे में सजा दे काजल की टिकिया
अब ना करूंगी तुझको तंग
तेरी ही बिटिया बनकर
रहूँगी हरदम संग
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अनीता लागुरी"अनु"