आज फिर तुम साथ चले आए
घर की दहलीज़ तक..!
पर वही सवाल फिर से..!
क्यों मुझे दरवाज़े तक छोड़
विलीन हो जाते हो इन अंधेरों में..?
क्यों नहीं लांघते इन दहलीज़ों को..?
जानती हूँ तुम्हें पता है ना
मेरा वो अंधेरों से डर...!
अब भी याद आता है मुझे
तुम्हारा वह मेरा हाथ थाम लेना..!
जब अचानक रोशनी
गुम हो जाती थी..!
और मैं चिहुंक कर
तुम्हारे सीने से लग जाती थी
और महसूस करती थी
तुम्हारी बाहों का वह मज़बूत घेरा
जो मुझसे कहता था
अनु मैं हूँ ना...!!!!
और मैं सिमटी सहमी
पूछती तुमसे...!!!
मुझसे दूर कभी नहीं जाओगे ना....???
और तुम मुस्कुरा देते....
अपने वही चिर-परिचित अंदाज़ में
और कहते मुझसे नहीं पगली!
धत्त...!!!!!!!
मैं भी ना....!!!
कहाँ खो जाती हूँ
और अब मैं अंधेरों में
मोमबत्ती तलाशती
तुम्हारी तस्वीर को
अपलक खड़ी देखती रह रही हूँ..!
धीरे-धीरे तुम्हारी छवि
धूमिल होने लगी है..!
पर तुम्हारी यादें नहीं..!
जानती हूँ तुम साथ नहीं हो
पर जब भी ये घने अंधेरों के साए
मुझे डराएंगे...!
तुम उस वक़्त मेरे साथ रहोगे...!
मेरी परछाई बनकर......!
#अनु
सूचना (संशोधन) -
जवाब देंहटाएंनमस्ते, आपकी रचना के "पाँच लिंकों का आनन्द" ( http://halchalwith5links.blogspot.in) में प्रकाशन की सूचना
9 -11 -2017 ( अंक 846 ) दी गयी थी।
खेद है कि रचना अब रविवार 12-11 -2017 को 849 वें अंक में प्रातः 4 बजे प्रकाशित होगी। चर्चा के लिए आप सादर आमंत्रित हैं।
Jii.dhnaywaad ...
हटाएंभावों और भावनाओं का अति सुंदर हृदयस्पर्शी चित्रण, सराहनीय है, ये जीवन की विडंबना और परिणीति भी है, हममे से बहुतों को इस स्थिति से गुजरना होता है भविष्य में भी होता रहेगा, परन्तु शब्दों में पिरो कर सबको उसकी अनुभूति करवाने के आभार,
जवाब देंहटाएंJi...thankyou vijyann jii. Aapne itni acchi pratikriya di...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा, भाव और भावनाओं का सुंदर हृदय स्पर्शी विवरण! इसको पढ़ते हुए इसमें खो जाते हैं इंसान!
जवाब देंहटाएं.. ji thankyou ...
जवाब देंहटाएंअनु जी बहुत सुंदर कविता ...
जवाब देंहटाएंमन छूते भाव...हृदयस्पर्शी..
वाह्ह्ह👌👌
Ji...thankyou .....!
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएं..Ji thankyou...!
हटाएंजी धन्यवाद....प्रयास कर रही हुं, आपकी प्रतिक्रिया संजीवनी के सामान हे।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकोमल भावों का क्रूर काल दंश से दो दो हाथ! यादों का फातिहा! सुन्दर!! बधाई और आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा। wahhhh
जवाब देंहटाएंजी बेहद धन्यवाद आप सभो का,आपने मुझे एक बेहतरीन मंच दिया....कि मै..आपनी कविताओ को सभो के समक्ष रख पाऊ....एक बेहतर दिन की कामना करते हुए आप सभो का दोबारा से धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर👌👌👌
जवाब देंहटाएंयादों के गलियारे में भावनाओं की धरा पर प्रवहमान कोमल तरल अनुराग धारा! सुभग, शीतल, कँवल कोमल , त्रिविध ज्व़ाला हरण!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर... मधुर मधुर स्मृतियाँ....
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
कुछ यादेः जान लेकर भी पीछा नही छोड़ती , पुनर्जन्म ले फिर सजग हो उठती है। अविस्मरणीय ये यादें ही जीने का सहारा बन जाती है। ईश्वर्ये ऐसी विरह किसी को न दे।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजी ....आभार आपका।
हटाएंGreat poetry....Congrats!
जवाब देंहटाएंदिल को छूते हुए भाव ...
जवाब देंहटाएंकई बार किसी का होना हिम्मत देता है, पर उसका न होना भी अनेकों बार हिमात दे जाता है ... मन की स्थिति को बाखूबी लिखा है ...
मन छूते भाव...हृदयस्पर्शी..
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनु जी ------ बहुत ही मार्मिक भावों से सजी आपकी रचना बहुत सुंदर है | सभी मासूम से भाव मन को छू जाते हैं | हार्दिक शुभकामना आपको |
जवाब देंहटाएंजी बेहद आभार आपका रेणु जी,
हटाएंआपकी टिप्पणी,मेरे लिए अहम हे,न ए शब्दो के साथ बेहतर सीखने का सतत् प्रयास जारी रखुंगी..धन्यवाद.!
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हटाएंबहुत सुन्दर रचना....सुन्दर भावों से सजी हुई....
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