..आ रंग उड़ेल दूँ
तुझमें सभी...!
ये स्याह-सफ़ेदी
मुझे भाती नहीं ...!
तुझे भी हक़ है,
इंद्रघनुष छूने की .. .!
किसी की मौत तेरी
किस्मत नहीं ..!
इन रश्म-ओ-रिवाज़ों के
सफ़ेद कोहरे ..!
मासूमियत को तुम्हारी
ढक सकते नहीं ..!
ये बिखरे बाल
ये सूनी मांग.......!
ये आँखों से बहती
निर्झर जल की धारा..!
इन बंधनों की
क़वायद से आज़ाद
तुझे करा दूँ ....!
आ माथे पे तेरे बिंदी लगा दूँ ...!
ओढ़ा दूँ ....तुझे ये
रंग सुनहरा......!
ये नीली..वो पीली...
वो चूड़ियाँ पहना दूँ ...!
आ उड़ेल दूँ ...
तुझमें रंग ये सारे
ये स्याह-सफ़ेदी मुझे भाती नहीं ..!
#अनु