एक कवि की तक़रार
हो गई
निखट्टू कलम से
कहा उसे संभल जा तू
तेरे अकेले से
राजा अपनी चाल नही
बदलने वाला
तेरी ताक़त बस
ये चंद स्याही है
उसके प्यादे ही काफी है
तेरे लिखे पन्ने को
नष्ट करने को,
बात मेरी मान
चल हस्ताक्षर कर इस
राजीनामे में,
लिखेगा तू जरूर
अपनी चाल भी चलेगा जरूर
मगर वक़्त और मोहरे
मैं तय करूँगा,
सामने खड़ी विशाल सेना को
अपनी क़लम की ताकत से
तू हराएगा....
सियासी दावँ पेंच की जादूगरी
में तुझे सिखाऊंगा,
बस अखड़पन में न उलझ
क़लम अपाहिज है तब तक
जब तक कवि के हाथों का
खिलौना न बन जाये..
..................
अनीता लागुरी"अनु"
भावों को शब्दों में अंकित करना और अपना नज़रिया दुनिया के सामने रखना.....अपने लेखन पर दुनिया की प्रतिक्रिया जानना......हाशिये की आवाज़ को केन्द्र में लाना और लोगों को जोड़ना.......आपका स्वागत है अनु की दुनिया में...... Copyright © अनीता लागुरी ( अनु ) All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
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शनिवार, 16 नवंबर 2019
कवि की तकरार..!
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