मैं तेरी सोन चिरैया
.........................
ओ मैया मेरी, मैं तेरी सोन चिरैया
छोड़कर तेरा अँँगना
उड़ जाऊंगी फुर्र से कहीं
ले बांध दें तागा मेरे पैरों पर
फिर ना जाऊँँगी कहीं
तेरे मनुहार से
बाबा के लाड - प्यार से
गिर कर उठती रही कई बार मैं
ओ मैया मेरी, मैं तेरी सोन चिरैया
अंगना को तेरी छोड़ कर
फुर्र से से उड़ जाऊँँगी कहीं
याद है मुझको
बाबा से जब मार पड़ी थी
मैं तो रोई थी रुक रुक कर
पर तेरी आंखें वीरान पड़ी थी
ओ मैया मेरी मैं तेरी सोन चिरैया
ना जता इतना स्नेह
जब जाऊँँगी छोड़कर तुझे
क्या तू रोक पायेगी मुझे
ये अँगना छूटेगा
खेत खलिहान छूटेंगे
अमिया की डलियाँ में बांधी बाबू की
रस्सी वाली झूला छूटेगी
सखियाँँ, तेरी डाँँट- फटकार
सब छोड़ कर उड़ जाएगी तेरी सोन चिरैया एक दिन
घर को तेरे सुना करके
पिया का घर बसाऊँँगी
अब तक तेरी दुलारी थी
अब उस घर की सोनचिरिया कहलाउँँगी
अनीता लागुरी"अनु"
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (7-3-2020 ) को शब्द-सृजन-11 " आँगन " (चर्चाअंक -3633) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
---
कामिनी सिन्हा
मेरी रचना को मात देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद में जरूर आऊंगी
हटाएंहम्म्म
जवाब देंहटाएंआँखें नाम हो गयी पढ़ते पढ़ते
चाहे विवाह को कितने ही बरस बीत जाये पर ऐसी रचना पढ़ कर विदाई की बेला ही याद आती हैं
हम सब सो चिरइया हिन् तो हैं। ..माँ बाप के घौंसले में सालों बिताने के बाद फिर अपना घोंसला बनाने चली जाती हैं
पर हर नए तागे में उस घोंसले की खुश्बू याद आती हैं
देखो आपकी रचना ने दिल कितना बाँध लिया
बहुत-बहुत धन्यवाद जोया जी इतनी आत्मीयता के साथ अपनी सारी बातें कहीं लिखना सार्थक हुआ मेरा.. चाहे जितनी भी बरस हो जाए हम सब अपने माता-पिता के सोन चिरैया ही रहेंगे .... दिल को छू गई आपकी यह बात सदैव साथ बनाए रखिएगा आप आती है तो अच्छा लगता है
हटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
08/03/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
.. जी कुलदीप जी निमंत्रण के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैं जरूर आऊंगी
हटाएंसोन चिरैया...माँ प्यार से यहीं तो बुलाती हैं बेटी को..सचमुच आंगन की चिरैया ही तो होती हैं बेटियां.. जो ब्याह के बाद सूना कर जाती मन और घर का आंगन । हृदयस्पर्शी सृजन हेतु बधाई अनु जी ।
जवाब देंहटाएं. जी बहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी आपकी स्नेह से भरी प्रतिक्रिया ने मेरे लखन को सफल कर दिया..
हटाएंकितना सुखद एहसास है ना हम सभी अपनी अपनी मांओं की सोन चिरैया है बहुत अच्छे लगा आपसे बात करके
ओ मैया मेरी, मैं तेरी सोन चिरैया
जवाब देंहटाएंछोड़कर तेरा अँँगना
उड़ जाऊंगी फुर्र से कहीं
ले बांध दें तागा मेरे पैरों पर
फिर ना जाऊँँगी कहीं...बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति प्रिय अनु.
. बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी सृजन...
जवाब देंहटाएंओ मैया मेरी, मैं तेरी सोन चिरैया
छोड़कर तेरा अँँगना
उड़ जाऊंगी फुर्र से कहीं
ले बांध दें तागा मेरे पैरों पर
फिर ना जाऊँँगी कहीं
और अपनी सोन चिरैया को अनन्त आशीषों के साथमाँ बाप खुद ही भेज देते हैं अश्रुपूरित होकर.......
मार्मिक गीत।
जवाब देंहटाएंचिड़िया दा चम्बा नामक पंजाबी गीत याद आ गया पढ़ते वक्त।
जवाब देंहटाएंमैं जब भी इस मैटर पर कुछ पढ़ता हूँ तो भावुक होने से रोक नहीं पाता।
बहुत उम्दा।
नई पोस्ट - कविता २
वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया दीदी जी। निश्छल,निर्मल भाव से निकली पंक्तियाँ पाठकों को भाव विभोर कर रही। उम्दा 👌
जवाब देंहटाएंसभी चिरैया के मन का भाव. एक दिन बाबुल का अँगना छूट ही जाना है. बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंमन भर आया पढने के बाद ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब भावपूर्ण ...