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उसकी क्या गलती थी
उसने तो तिरंगा पकड़ रखा था
आखिरी गोली जब सीने में जा धंसी
जमीन पर वो चित् पड़ा था
रह रह कर हलक़ से
कुछ चीखे बेलौस लड़ रही थी
चेहरे में उभरते दर्द के निशां
और हाथों में उसके सीने से बहता खून भरा था
क्या गलती थी उसकी
वो तो बस तिरंगा लिए खड़ा था
भीड़ पर चलाई थी ना जाने किसने गोली
वो मासूम अब भी जमीन पर चित् पड़ा था
आज ही पहनी थी उसने कुर्ती नई
झक सफेद रंग , लाल रंग में सन गया
हाथों में लिपटा तिरंगा खुद ही
उसके बदन पर लिपट गया
ना ना करते करते आखिरकार वह
सिस्टम के अंधकार में
गोलियों का शिकार बन
एड़ियाँ रगड़ रगड़ कर आखिरकार मर गया
क्या अब भी यही पूछोगे
क्या गलती थी उसकी
वो तो सिर्फ और सिर्फ
तिरंगा लिए खड़ा था
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अनु🍂🍁🍂🍁🍁
बहुत सुन्दर और सार्थक
जवाब देंहटाएंरूह तक उतर गया आपका सृजन अनु ।
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी और चिंतन परक।
बहुत सुंदर और प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंसिस्टम के अंधकार में
जवाब देंहटाएंगोलियों का शिकार बन
एड़ियाँ रगड़ रगड़ कर आखिरकार मर गया
हृदय स्पर्शी रचना अनु जी
Recent Post शब्दों की मुस्कराहट परउस कील का धन्यवाद:)