अधखुली खिड़की से,
धुएं के बादल निकल आए,
संग साथ में सोंधी रोटी की
ख़ुशबू भी ले आए,
धुएं के बादल निकल आए,
संग साथ में सोंधी रोटी की
ख़ुशबू भी ले आए,
सुलगती अंगीठी
और अम्मा का धुआँ-धुआँ
होता मन..!
और अम्मा का धुआँ-धुआँ
होता मन..!
कभी फुकनी की फूं-फूं
तो कभी अंगना में
नाचती गौरैया ...ता-ता थईया..!
तो कभी अंगना में
नाचती गौरैया ...ता-ता थईया..!
बांधे ख़ुशबुओं की पोटली
सूरज भी सर पर चढ़ आया..!
जब अम्मा ने सेकीं रोटियां तवे पर...!
सूरज भी सर पर चढ़ आया..!
जब अम्मा ने सेकीं रोटियां तवे पर...!
नवम्बर का सर्द सवेरा भी
ख़ुद पे शरमाया....!
जब अधखुली खिड़की से....धुएं
का बादल निकल आया....!
ख़ुद पे शरमाया....!
जब अधखुली खिड़की से....धुएं
का बादल निकल आया....!
#अनु
चित्र साभार - गूगल
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