अक्सर हम लोग बहुत कुछ पाने की चाहत में बहुत सारी छोटी-छोटी चीजों से अपना नाता तोड़ देते हैं हमें लगता है कि छोटी चीजें हमारी राह की रुकावटें बनेगी हमें आगे बढ़ने नहीं देंगे इसमें सबसे खास होता है ऐसे कुछ रिश्ते जो बहुत महत्वपूर्ण होते हैं पर जब हम उन्नति की राह में आगे बढ़ते हैं तब इस रिश्ते को दरकिनार कर देते हैं सोचते हैं इसी भीड़ भाड़ में अगर मेरे दोस्त मुझे आवाज लगा दी, मेरे जानने पहचानने वाले क्या सोचेंगे यह पुरानी कुर्ती पहने मेरे पिता ने मुझे अगर बेटा रुक जाओ कहा तो मेरे जानने-पहचानने वाले लोग मुझे देखकर क्या सोचेंगे। इसके पिताजीहे। यह कुछ हमारी जिंदगी की बहुत बड़ी गलतियां होती है पर हम यह गलतियां करते हैं जान बूझकर करते हैं क्योंकि हम शोहरत पैसे की चाह मे में भूखे बन जाते हैं अंधे हो जाते हैं कि यह सब बस कुछ दिनों की ही चांदी होती है बाकी बात नहीं सब कुछ अंधेरा ही अंधेरा रहता है इसलिए कभी भी अपने रिश्तो को भूलना नहीं चाहिए उस जमीन को नहीं भूलना चाहिए जहां से चलकर हम शोहरत की ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं।
भावों को शब्दों में अंकित करना और अपना नज़रिया दुनिया के सामने रखना.....अपने लेखन पर दुनिया की प्रतिक्रिया जानना......हाशिये की आवाज़ को केन्द्र में लाना और लोगों को जोड़ना.......आपका स्वागत है अनु की दुनिया में...... Copyright © अनीता लागुरी ( अनु ) All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
अपनी बात लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अपनी बात लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बुधवार, 26 जुलाई 2017
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
-
आज फिर तुम साथ चले आए घर की दहलीज़ तक..! पर वही सवाल फिर से..! क्यों मुझे दरवाज़े तक छोड़ विलीन हो जाते हो इन अंधेरों मे...
-
कभी चाहा नहीं कि अमरबेल-सी तुमसे लिपट जाऊँ ..!! कभी चाहा नहीं की मेरी शिकायतें रोकेंगी तुम्हें...! चाहे तुम मुझे न पढ...