सोमवार, 13 जनवरी 2020

किसने कहा..।

अरे चुप..
क्या आप भी ना...!!
किसने कहा.. मैं रोई हुँ...
बिलकुल नहीं....
ये तो एक बर्फ का शिला है।
जो अंदर कहीं सालों से
रिस्ता आ रहा है..!!
जो अक्सर आँखों में कम
पर दिल की गहराईयों में..
ज्यादा पनीला है..!
                              अन्नू🌺🌺🌺


7 टिप्‍पणियां:

  1. ओह..मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ अन्नू।



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  2. बहुत हृदयस्पर्शी लिखा है प्रिय अनु | भीतर की बर्फ का पिघलना किसी को द्रवित कर जाए, ये चलन शायद दुनिया में है ही नहीं |

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  3. प्रिय अनू , पहले अच्छा खासा था ब्लॉग| अब बदलकर कई विकल्प नहीं दिख रहे | अगर कर सको तो वॉटरमार्क या ओसमइंक थीम लगकर कोशिश कर के देखो |

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-01-2020) को   "मैं भारत हूँ"   (चर्चा अंक - 3581)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    मकर संक्रान्ति की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  5. ओह!!!
    बेहद हृदयस्पर्शी सृजन

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  6. दिल को छू गईं आपकी पंक्तियाँ अनू जी !
    सोचने के लिए और मर्द होने के नाते शर्मसार होने के लिए मजबूर भी करती हैं आपकी पंक्तियाँ !

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