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बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

वैलेंटाइन-डे

❤ प्यार एक ख़ूबसूरत एहसास है इसे हर वो दिल महसूस करता है........ जो प्यार के एहसास से  गुज़रता है।  उसके लिए हर वह पल ख़ास  होता है जब वह अपने प्यार से मिलता है।  उसे उसकी बातें अच्छी लगती हैं...... उसकी मुस्कुराहट अच्छी लगती है़..... उसका हर अंदाज़-ए-बयां उसे अच्छा लगता है और वो उसकी चाहत में पूरी तरह से  डूब चुका होता है।  ......क्या वाक़ई  इतना ख़ास होता है प्यार ?..... हमें  शायद इतना ख़ास   महसूस होता होगा  प्यार। चलो अब बातें प्यार की कर ही रहे हैं तो कुछ अपनी भी बातें जोड़ दूँ  इसमें। 
पता है ?  
मुझे लगता है .....
जब तुम मुस्कुराते हो 
तब कहीं  झरने की  कल-कल  करती 
मधुर-सी आवाज 
यूँ  ही मेरे आसपास बिखर जाती है.....! 
कुछ ऐसा संगीत मेरे रोम-रोम में गूंजने लगता है....!!!   
जिसकी ध्वनि सिर्फ़ मुझे सुनाई पड़ती है 
और मेरा मन यूँँ ही मस्त-मगन 
हर गली हर चौराहे पर  नाचने लगता है ....।.
जानते हो क्यों....? 
क्योंकि शायद मैं प्यार के एहसास में 
सर से पांव तक डूबी हुई हूँ, 
यह प्यार ही तो है 
जो मुझे सजने-संवरने और यूँ  ही 
आईने के सामने खड़े होकर 
ख़ुद  को घंटो तक देखने की मेरी इच्छा को बढ़ाता है ......।
न  चाहते हुए भी 
माथे पर एक छोटी-सी बिंदी लगाने को मजबूर करता है ।   
हाथों में चूड़ियां और ,
छरहरी काया पर  मेरी एक सुंदर-सा 
अनारकली सूट बदल-बदलकर 
पहनने को मजबूर करता है..।
कैसे बताऊँ मन न जाने क्या-क्या सोचता है। 
शायद इसी को कहते हैं प्यार...
पर क्या इसी  प्यार के लिए 
हर एक दिल धड़कता है।
हर पल हर घंटे 
हर ल्मम्हे जीता है।
क्या इस प्यार के लिए सिर्फ एक सप्ताह काफी होता है ।
ना जाने किस पाश्चात्य प्रभाव भी आकर
 प्रेम दिवस के नामकरण करते चले गए
इसे हम किसी समय के परिधि में नहीं बांध सकते हैं .!
इस प्यार को तो यह भी नहीं पता 
कि  हम इंसानों ने 
इसके लिए भी सीमाएं तय कर दीं  हैं...। 
जबकि  प्यार तो अनंत है ।
असीमित है ।
जिसका कोई ओर-छोर नहीं ,
यह तो हर उस दिल में बसता है ।
जहां पर हम किसी के लिए कुछ ख़ास महसूस  करते हैं !          
उसके लिए हर वो बातें सोचते हैं 
जो  उसे अच्छी लगे 
उसकी ख़ुशी के  लिए हर जतन करते हैं..।. 
जब वो गुजरता है गली के कोने से,
तो छत के किसी कोने में खड़े होकर उसे देखते हैं ।
तब तक जब तक की वह नजरों से ओझल ना हो जाए। 
उसकी हर अच्छी-बुरी बातों को 
हम सही मानते हैं ।
और जब वह पास आता है ।
तो अपनी अंगुलियों में 
दुपट्टे का  छोर  घुमाए  बिना 
उसकी ओर देखने  
उसके धड़कनों को सुनने का प्रयास करते हैं ।
शायद यही प्यार है ।   
अनचाहा अनकहा अद्भुत प्यार ...
जो  तुम्हें मुझसे  है .... और  मुझे  तुमसे..... ।
मैं अपने प्यार को एक  सप्ताह में नहीं बांट सकती 
मेरे लिए तो हर वह पल ख़ास  है।
हर वो पल एक उत्सव की तरह है.।
जब तुम मेरे पास से गुजरते हो !  
मुझसे बातें करते हो ,
तुम्हारे होने न होने का एहसास ,
मुझे अंदर ही अंदर बेचैन करता है ।
और तुम्हें देखकर मेरी आंखें भर आती हैं ख़ुशी  से 
मेरे लिए तो ये सारे पल वैलेंटाइन-डे से भी से भी ज़्यादा ख़ास हैं 
क्योंकि प्यार की कोई परिधि नहीं होती...... 
# अनीता लागुरी (अनु)

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

तुम्हारे प्यार में.....

हां तुम्हारे प्यार में डूबा मैं
उस चांद से पूछ बैठता हूँ
क्या तुम्हें नींद नहीं आती
यों  टकटकी लगाए,
क्या देखते हो
या रातों को जागने की
आदत हो  गई
मेरी  तरह..?
या तुम भी कर बैठे प्यार किसी से?
क्या करुं
सर्दी में मुँह से निकलते धुंए को
हवाओं में उड़ाता चला हूँ मैं 

जानता हूँ मैं 
ये  धुआँ नहीं भ्रम है  मेरा
पर फिर भी इस दिल को 

समझाऊँ  कैसे
जो तुम्हारे न होने के अहसास को
पुख़्ता  सबूत बनाता है
जो मेरे  क़दमों को थाम 

आगे बढ़ने से रोक देता है
हाँ सिर्फ़  तुम्हारे प्यार में
बावरा बन.. घूम आता  हूँ
गलियों में , चौराहों पर ...
तो कभी यादों की पगडंडियों पर
थामे हाथ तुम्हारा चल पड़ता  हूँ
उस अनंत क्षितिज की ओर
उस लाल रक्तिम आभा से युक्त
सूरज को छूने
तो कभी तुम्हारी धड़कनों की
धक-धक को सुन उसकी लय में
ख़ुद  को तलाशता
अंजाने ही अर्थविहीन चल पड़ता हूँ
तो कभी छत पर सूखता
तुम्हारा वो नीला-नारंगी दुपट्टा अलबेला
और उससे आती तुम्हारे बदन की वो ख़ुशबू ...!
उसे ढूंढ़ता  न जाने कहां चल पड़ता हूँ  मैं
हां तुम्हारे प्यार में.!
न जाने क्यों
पाबंदियां की परिभाषा भूल गया हूँ
मौसम के चढ़ने-उतरने का 

राग भूल गया हूँ
नभ में उड़ते पंछियों की आज़ादी
भूल गया हूँ मैं 

हाँ  तुम्हारे प्यार में
सुर्ख़ मख़मली एहसासों की नुमाइश कर चला हूँ
समेट लो अपने बाहों में.....
वरना ....न जाने क्या से 
क्या चला हूँ  मैं...!!!
#अनीता लागुरी (अनु)