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बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

कैद ख्यालो की,

ये जो कैद है ,
तुम्हारे ख्यालो की,
तुम्हारे अनगिनत स्पर्शो  की...!
मेरे अधरो पर अंकित
तुम्हारे प्रणय निवेदन की
चाहुं भी ,
कहकशो से तुम्हारी,
रुह को मेरी,
आजाद नहीं कर सकती।
बांधी है गांठ
तेरी यादों की मेरे ख्यालों की डोर से।
,
          अनु 

दूर दूर तक

दूर-दूर तक धूल उड़ाती   चौड़ी सपाट सड़के, शांत पड़ी रह गई, जब बारिश की बूंदों ने असमय  ही उन्हें भींगो दिया.. यूं लगा उन्हें मानो धरा को भिं...