शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

जिजीविषा..जीने की इच्छा में उग आते हैं पेड़ पौधे


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जंगल के बीचोबीच,
पत्थरों की ओट में
उग आया था,जामुन का पौधा
और लगा अंकुरित होने
और फिर बढ़ता रहा
बढ़ता रहा...
विपरीत परिस्थितियों के बीच
और एक दिन बड़ा हो गया।
और लगा फल गिराने धप्प से
पर हम मनुष्य क्यों...?
क्यों घबरा जाते है।
टूट जाते हैं , बिखर जाते हैं
जब परिस्थितियां हमारे अनुकूल नहीं होती
क्यों उस जामुन के पौधे की तरह
खुद में #जिजीविषा समाहित किये ,
जीने का प्रयास हम नही करते ,
मनुष्य होना आसान नहीं..?
🌿🍁🍂🍁🍂🍁🍂
         अनीता लागुरी "अनु"

8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (११ -०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ३ (चर्चा अंक - ३५७७) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

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  2. मनुष्य होना आसान नहीं, फिर भी?

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  3. " मनुष्य होना आसान नहीं "क्योकि मनुष्य की आकांक्षाएं बहुत होती हैं ,सुंदर सृजन अनु जी

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  4. बहुत ही लाजवाब सृजन
    वाह!!!
    क्यों उस जामुन के पौधे की तरह
    खुद में #जिजीविषा समाहित किये ,
    जीने का प्रयास हम नही करते ,

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर सकारात्मक रचना अनु।
    स्वाभाविक और यथार्थ वादी सजीव चित्रण।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर और सार्थक रचना अनीता जी

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