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रविवार, 12 नवंबर 2017

चाय की चुस्कियां संग जिंदगी के.......

Hot Tea..


ज़िन्दगी  ने फिर से 
बनी बनाई चाय
उड़ेल दी कप में  मेरे ,
चाहे चाय ,
बेस्वाद ही क्यों  न बनी हो।
हर बार की तरह
अपनी परेशानियों  में  लिपटी ,
वो पास आ जाती  है 
और मुझसे  कहती  है 
छोड़े जा रही  हूँ ,
तकिये के नीचे तुम्हारी 
कुछ तकलीफ़ों  की गठ्ठरी,
संभाल लेना हर बार की तरह 
और  लगा प्यार से,
चपत गालों  पे  मेरी...!
छोड़े जाती है  
उन तकलीफ़ों  के साथ
जो रोज़  परत-दर-परत 
मुझमें  प्रहार करती हैं ।
और मेरे टूटकर बिखरने का 
इंतज़ार भी
बिना चीनी की  
बेस्वाद  चाय की तरह.....!!!
#अनु
(  चित्र साभार गुगल)