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मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

दिलों के मकानों में किराए नहीं लगते जनाब!

दिलों के मकानों में
किराए नहीं लगते जनाब!
ये वो शानेख़्वाबगाह  हैं !
जहां मोहब्बतें  सुकूं  से
बसर किया करती  हैं।
इनके  रोशनदान से
सिर्फ़  रौशनी  नहीं आती जनाब!
यहां वो पवित्र रुहें बसा करती हैं
जिनकी दुआओं और बरकतों से
ज़िन्दगी  बसर होती है
किसी ने सही कहा है -
फ़क़त  कट जाए तो
ज़िन्दगी   है
वरना रफ़्तार  दरिया की
मापने से
क्या फ़ाएदा  ..!!
  # अनीता लागुरी ( अनु )                                                                                                                                                    चित्र गूगल से साभार।
                                                                                                                                                                              

सोमवार, 20 नवंबर 2017

सफ़ेद कोहरे.....

..आ रंग उड़ेल दूँ  
 तुझमें  सभी...!
ये स्याह-सफ़ेदी  
मुझे भाती नहीं ...!

तुझे भी हक़  है,
इंद्रघनुष छूने की .. .!
किसी‌ की मौत तेरी
किस्मत नहीं ..!

इन रश्म-ओ-रिवाज़ों  के
सफ़ेद  कोहरे ..!
मासूमियत को तुम्हारी
ढक  सकते नहीं ..!

ये बिखरे बाल
ये सूनी मांग.......!
ये आँखों से बहती
निर्झर जल की धारा..!

इन बंधनों  की 
क़वायद से आज़ाद 
तुझे करा दूँ ....!
आ माथे पे तेरे  बिंदी लगा दूँ ...!

 ओढ़ा दूँ ....तुझे ये
रंग सुनहरा......!
ये नीली..वो पीली...
वो चूड़ियाँ पहना दूँ ...!

आ उड़ेल दूँ ... 
तुझमें  रंग ये सारे
ये स्याह-सफ़ेदी  मुझे भाती नहीं ..!
#अनु 

चित्र : अनु लागुरी