उसकी उदासियों में
झलकती थी
अमावस्या-सी
गहन रात..!!
उसकी उदासियों में
दफ़न थे
ज़िंदगी से
जुड़े सवाल.!!
दफ़न थे
ज़िंदगी से
जुड़े सवाल.!!
उसकी उदासियों में
परछाई थी
आईने से
लेकर किरदार.!!
परछाई थी
आईने से
लेकर किरदार.!!
उसकी उदासियों में
ज़ुबान थी
ख़ामोशी से
चंद सवाल।
ज़ुबान थी
ख़ामोशी से
चंद सवाल।
उसकी उदासियों में
रंगहीन थी
बिस्तर से
उभरती सिलवटें।
रंगहीन थी
बिस्तर से
उभरती सिलवटें।
उसकी उदासियों में
जज़्ब थे
कहाँनियों से
बने किरदार।
जज़्ब थे
कहाँनियों से
बने किरदार।
उसकी उदासियाँ
उसका हमसाया थी
वह तन्हा रही
अपनी ही ज़िंदगी में
एक चरित्र बनकर..!
@अनीता लागुरी 'अनु'
उसका हमसाया थी
वह तन्हा रही
अपनी ही ज़िंदगी में
एक चरित्र बनकर..!
@अनीता लागुरी 'अनु'