गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

प्रश्न..!!

प्रश्न तो बस प्रश्न होते हैं,
तीखे से ,मीठे से,कुछ उलझे से
कुछ जज्बाती से,
तो कुछ हमेशा की तरह अनुत्तरित से।
यहां कुछ प्रश्न..?
मैंने भी पुछा ,
मां से अपनी...?
क्यो लड़के की चाह में,
मुझे अजन्मे ही मारने चली..?
क्यों छठे माह तक,
बिना किसी भय के ,
सींचती रही रक्त से अपने..!
सुनाती रही लोरी,
और सहलाती रही
उदर को अपने...!!
हर बीतते पल के साथ,
मुझ खुन के टुकड़े को
नख, शिख ,दंत से क्यों
सांवारती रही...?
और करती रही मजबूत
रिश्ता हमारा,
फिर ऐसा क्या हुआ,
मां....?
किसने तुझे कमजोर बनायां
किसने तुझे कहा,
लड़के ही वंश बड़ाते है,
ये मुई लड़कियां तो बस बोझ होती है।
एक बार आने तो दिया होता,
दुनिया में तुम्हारी,
पर ....!
तु इतना भी ना कर सकी,
मेरी मां,
लड़ जाती मेरी खातिर सबसे
और रख ये प्रश्न....!
पुछती सबसे...!
क्या हुआ जो गर ये
लड़की है...!
है तो मेरा ही अंश..
मैं लाउंगी इसे
इस दुनिया में..!
इसे जीने का अधिकार
मैं दुंगी..!
पर तुने नहीं कहा,
और छोड़ दिया मुझे अकेला।
और मैं बिना जन्मे ही
चल दी , तुम्हारी दुनिया से दुर..!
और आज मौका मिला तो
मैंने भी पुछ लिया ये
प्रश्न ..!
ना जाने फिर कभी
मौका मिले या नहीं,
इस अजन्मे बच्चे को
तुमसे संवाद का ...

20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 10 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सर्वप्रथम तो दिल से क्षमा चाहूंगी यशोदा दी मैं बहुत देर में आपके आमंत्रण तक पहुंच पाई आगे से मैं ध्यान रखूंगी ऐसी गलती दोबारा ना हो ,#सांध्य दैनिक मुखरित मोन से आमंत्रण यह अपने आप में एक बहुत बड़ा बड़ी बात है..

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  2. बहुत सुंदर ऐसी रचनाएं कभी कभी पढने को मिलती हैं।
    मेरी मां,
    लड़ जाती मेरी खातिर सबसे
    और रख ये प्रश्न....!
    पुछती सबसे...!
    क्या हुआ जो गर ये
    लड़की है...!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संजय भास्कर जी आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे मनोबल में आशातीत वृद्धि की...💐 आशा करती हूं कि आगे भी आप मेरी रचनाएं पढ़ने के लिए मेरी blog पर आते रहेंगे धन्यवाद

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. क्षमा कीजिएगा श्वेता दी मुझे ब्लॉग से नोटिफिकेशन नहीं मिल पा रही है इसलिए मैं आप सबों के आमंत्रण तक नहीं पहुंच पा रही हूं अभी मैंने चेक किया तो मुझे आप सबों के आमंत्रण मिले मैं जल्द से जल्द अपनी ब्लॉग की सेटिंग को ठीक करके आप सबों के साथ फिर से जुड़ूंगी..!!

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  4. उत्तर
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता सुधीर जी बहुत प्रसन्नता हुई आपको अपने ब्लॉग पर देखकर

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  5. हृदय स्पर्शी संवाद है, बहुत गहरा संवेदनशील विषय,और प्रश्न
    एक अजन्मी का जो मां पर एक प्रश्र चिन्ह भी लगा रहा है,
    मां कोई शब्द नहीं फिर किस मनोस्थिति में ऐसा कदम उठा कर मां जैसे संवेदनशील विराट शख्सियत पर प्रश् चिन्ह बन लटकता हैं।
    अप्रतिम अभिव्यक्ति।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका आपकी प्रतिक्रिया जानकर मुझे बेहद खुशी हुई मानो महसूस हो रहा है कि मेरा लिखना सफल हुआ

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  6. लड़ जाती मेरी खातिर सबसे
    और रख ये प्रश्न....!
    पुछती सबसे...!
    क्या हुआ जो गर ये
    लड़की है...!
    है तो मेरा ही अंश..
    बहुत ही मार्मिक सवाल ...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी मुझे बेहद खुशी हुई आपको अपने ब्लॉग पर देखकर

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  7. पुरानी मानसिकता व विज्ञान के गलत प्रयोग ने हमें बेहद नुकसान पहुंचाया है।
    ये संवाद दिल को छू गया। एक स्त्री ही लड़की जनना नहीं चाहती।
    अति उत्तम।
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे 

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    1. बहुत धन्यवाद आपका रोहिताश जी मुझे बेहद प्रसन्नता हुई कि आप मेरी ब्लॉग पोस्ट पर आए और अपने महत्वपूर्ण विचार आपने साझा किए आशा करती हूं कि भविष्य पर भी आपके विचार यूं ही मिलते रहेंगे

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  8. अतिसंवेदनशील, भावुक करती रचना। शुरू से अंत तक विषय को आपने पकड़े रखा है। ये संवाद हर घर में होना चाहिए। आत्मचिंतन को मजबूर करती रचना।
    मेरी शुभकामना है कि आपकी यह रचना प्रत्येक व्यक्ति के पास पहुँचे।
    धन्यवाद!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रकाश शाह... बेहद प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी रचना प्रभावित कर पाई आशा करती हूं कि आप हमेशा मेरी ब्लॉग पर आकर मेरी रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत करते रहेंगे एकबारगी और धन्यवाद आपका

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  9. संवेदनशील पंक्तियाँ,हृदयस्पर्शी भावपूर्ण अभिव्यक्ति
    ममत्व का भाव स्त्री पुरुष दोनों में ही होता है पर ना जाने कैसे माता पिता इस भाव का गला घोट भ्रूण हत्या को अंजाम देते हैं? बेटी और बेटों में अंतर करने वाले जाने क्यू भूल जाते हैं कि बिना शक्ति तो भगवान भी अधूरे है।
    बेटी बोझ नहीं वरदान है।
    महत्वपूर्ण संदेश देती सुंदर अभिव्यक्ति
    सादर नमन

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    1. .. बहुत-बहुत धन्यवाद आंचल इतनी अच्छी प्रतिक्रिया देने हेतु लड़के लड़कियों में भेद करना वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है दोनों ही ईश्वर की देन होते हैं... धन्यवाद इस चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए

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  10. जी आदरणीय नमस्ते आपका निमंत्रण मैंने स्वीकार किया मैं जरूर आऊंगी धन्यवाद

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