उसकी उदासियों में
झलकती थी
अमावस्या-सी
गहन रात..!!
उसकी उदासियों में
दफ़न थे
ज़िंदगी से
जुड़े सवाल.!!
दफ़न थे
ज़िंदगी से
जुड़े सवाल.!!
उसकी उदासियों में
परछाई थी
आईने से
लेकर किरदार.!!
परछाई थी
आईने से
लेकर किरदार.!!
उसकी उदासियों में
ज़ुबान थी
ख़ामोशी से
चंद सवाल।
ज़ुबान थी
ख़ामोशी से
चंद सवाल।
उसकी उदासियों में
रंगहीन थी
बिस्तर से
उभरती सिलवटें।
रंगहीन थी
बिस्तर से
उभरती सिलवटें।
उसकी उदासियों में
जज़्ब थे
कहाँनियों से
बने किरदार।
जज़्ब थे
कहाँनियों से
बने किरदार।
उसकी उदासियाँ
उसका हमसाया थी
वह तन्हा रही
अपनी ही ज़िंदगी में
एक चरित्र बनकर..!
@अनीता लागुरी 'अनु'
उसका हमसाया थी
वह तन्हा रही
अपनी ही ज़िंदगी में
एक चरित्र बनकर..!
@अनीता लागुरी 'अनु'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (29-10-2019) को "भइया-दोयज पर्व" (चर्चा अंक- 3503) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
दीपावली के पंच पर्वों की शृंखला में गोवर्धनपूजा की
हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
... जी निमंत्रण के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी... मैं जरूर आऊंगी
हटाएंhmmmm
जवाब देंहटाएंअपनी रचना पर आपका कमेंट पढ़ कर यहां आयी के आपसे कहूं की ये रचना कुछ साल पुरानी है बस ब्लॉग पर अभी पोस्ट की पर जब यहां आके आपकी रचना की उदासियाँ देखि तो.. बस मुस्कुरा भर उठी हम सब एक सी नाव लिए एक से समन्दरों में हैं बस। ... समंदर की लहरों रस्ता अलग अलग और तूफ़ान अपने अपने
रचना को इतनी गहराई से पढ़ने के लिए धन्यवाद और मेरे लिए प्रार्थना करने के लिए भी
बहुत-बहुत धन्यवाद जोया जी आप यहां आए और अपने विचार यहां रखें.. बहुत अच्छी पंक्तियां कही आपने समुंदर और कश्तियां सबकी बराबर है... लेकिन तूफान उस तूफान का कोई नाम नहीं आप यूं ही लिखते रहा कीजिए बहुत समय के बाद किसी कलम में अपनी सी खुशबू मिल गई.!!.
हटाएंउसकी उदासियों में
जवाब देंहटाएंझलकती थी
अमावस्या सी
गहन रात.
pehali pankityon ne hi dil thaam liya :)
उसकी उदासियों में
रंगहीन थी
बिस्तर से
उभरती सिलवटें
bina zydaa vistaar ke hi bahut kuch kehti pankiyiyaan
वह तन्हा रही
अपनी ही जिंदगी में
एक चरित्र बनकर
saarthak rchnaa ke liye bahut bahut bdhaayi
acche lekhan hume pdhwaane ke liye aabhaar
.. जी बहुत-बहुत धन्यवाद जोया जी... मुझे बेहद खुशी हुई कि ... मैं आपको प्रभावित कर पाई..!
हटाएंवास्तविकता की भावना के साथ अच्छी कविता
जवाब देंहटाएं.. बहुत-बहुत धन्यवाद नीलांश जी आपको अपनी ब्लॉग पर देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा🙏
हटाएंउदासियों के अलग भाव पर सब का एक ही निचोड़ उदासी ...
जवाब देंहटाएंबख़ूबी रंग है इस रंग को ...
बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी आपकी प्रतिक्रियाएं हमेशा मेरे मनोबल में वृद्धि करती है हमेशा साथ बनाए रखें धन्यवाद🙏
हटाएं.. जी निमंत्रण के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद मैं जरूर आऊंगी
जवाब देंहटाएंउदासियाँ का भी अपना एक अलग ही रंग होता है, बहुत कुछ सिखला देती है जिंदगी में, लेकिन छाप छोड़कर जाती है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
.. बहुत-बहुत धन्यवाद कविता जीआपकी स्नेहमयी टिप्पणी ने आनंदित कर दिया,...🙏
हटाएंबेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंउदासी उस जमीं का नाम है जिसके पास बीज तो लेकिन उसे अंकुरण करने के लिए किसी एक उपयोगी चीज नमी की कमी है।
जवाब देंहटाएंतन्हा जब बिस्तर पर लेटते हैं तो थपथपाने उदासी आती है और लोरियां सुनाने सिलवटें।
बहुत प्यारी रचना है ।
आपका नई रचना पर स्वागत है 👉👉 कविता
उसकी उदासियों में
जवाब देंहटाएंरंगहीन थी
बिस्तर से
उभरती सिलवटें।
क्या खूबसूरत अंदाज़ है. मन को उभरानेवाली एक दिलकश रचना..!!