हाँ पहली बार देखा था सूरज को
सिसकते हुए...!!
दंभ से भरे लाल गोलाकार वृत्त में
सालों से अकेले खड़े हुए..!!
हमारे कोसे जाने की अवधि में
स्थिर वो सुनता रहा है सब कुछ
उसकी भी संवेदनाएँ ...!
प्रभाव छोड़ती है..!!
जब वो आग के गोलों में तब्दील,
अपनी मारक शक्तियों का प्रयोग करता है
धरती जलती है ..!!
उसके क्रोध के सामने,
पशु ,पक्षी ,इंसान रहम मांगते हैं..!!
जब वो अपने अंदर की आग को,
बाहर उबालकर रख देता है
ऐसा प्रतीत होता है..!!
उसे भी संवाद प्रिय होगा,
सिसकते हुए...!!
दंभ से भरे लाल गोलाकार वृत्त में
सालों से अकेले खड़े हुए..!!
हमारे कोसे जाने की अवधि में
स्थिर वो सुनता रहा है सब कुछ
उसकी भी संवेदनाएँ ...!
प्रभाव छोड़ती है..!!
जब वो आग के गोलों में तब्दील,
अपनी मारक शक्तियों का प्रयोग करता है
धरती जलती है ..!!
उसके क्रोध के सामने,
पशु ,पक्षी ,इंसान रहम मांगते हैं..!!
जब वो अपने अंदर की आग को,
बाहर उबालकर रख देता है
ऐसा प्रतीत होता है..!!
उसे भी संवाद प्रिय होगा,
किसी के सानिध्य को
तरसता..
सदियों से अकेले खड़े होकर जलने की
सजा से व्याकुल..!
वो भी कितना कराहता होगा,
मिन्नतें दरख़्वास्त सारी उसकी
जल गयीं होंगीं ख़ुद की उसकी आग में
सदियों से अकेले खड़े होकर जलने की
सजा से व्याकुल..!
वो भी कितना कराहता होगा,
मिन्नतें दरख़्वास्त सारी उसकी
जल गयीं होंगीं ख़ुद की उसकी आग में
क्या वो अभिशप्त है...?
यों सदियों से अब तक जलते रहना..
उसकी नियति में लिखा भयानक सच है..!
#अनीता लागुरी "अनु"
#अनीता लागुरी "अनु"
.. बहुत-बहुत धन्यवाद यशोदा जी पाँच लिंको के आनंद में मुझे सम्मिलित करने के लिए मैं जरूर आऊंगी
जवाब देंहटाएंमानवीकरण का खूबसूरत प्रयोग।
जवाब देंहटाएंप्रेमी की स्तिथि और भाव दोनों को उम्दा अंदाज में प्रस्तुत किया है।
प्यारी रचना।
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉👉 लोग बोले है बुरा लगता है
.. सुप्रभात रोहितास जी, एवं बहुत-बहुत धन्यवाद इतनी अच्छी प्रतिक्रिया हेतु.!!
हटाएंवाह! भावों का प्रगाढ़तम निकष! बधाई!!!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात...... बहुत-बहुत धन्यवाद विश्व मोहन जी!!
हटाएंबहुत ही शानदार लिखा
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद सदा
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-10-2019) को "आम भी खास होता है" (चर्चा अंक-3497) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय चर्चा मंच के लिंक पर खुद को पाना एक बहुत बड़ी खुशी की बात है मैं जरूर आऊंगी
हटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंउसे भी संवाद प्रिय होगा,
किसी के सानिध्य को
तरसता..
सदियों से अकेले खड़े होकर जलने की
सजा से व्याकुल..!
वाह!!!!
. बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी आपको मेरी रचना पसंद आई
हटाएंसाधना जारी रहे।
जवाब देंहटाएं.. जी बहुत-बहुत धन्यवाद पूरी तरह से जारी रखूंगी
हटाएंबहुत सुंदर रचना अनु तुम्हें पढ़ना सदैव नवीनतम भावों को सृजित करता है।
जवाब देंहटाएंखूब लिखो लेखनी की धार बढ़ती रहे।
बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता जी आपकी प्रतिक्रिया हमेशा और बेहतर लिखने को प्रेरित करती हैं
जवाब देंहटाएंअनु दी,अकेलापन इंसान को अखरता हैं... सुना था जानवरो को भी अखरता हैं। प्रेम जानवरों को हुई चाहिए। लेकिन सुरजबक अकेलापन...बहुत सुंदर कल्पना।
जवाब देंहटाएंइंसान पशु पक्षी पेड़ सबकी जीवन में प्रेम की बारी आई फिर वह सूरज क्यों अकेला सोचा चलो आज उसे भी प्रेम के बंधन में बांध दूं बहुत अच्छी लगी आपकी प्रतिक्रिया
हटाएंबहूत हि गहरे जजबात और भावना को प्रस्तुत करती आपकी यह रचना सब कुछ दिल मे उतर गया....!
जवाब देंहटाएं. बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी इतनी अच्छी प्रतिक्रिया हेतु
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा ...
जवाब देंहटाएं.. जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएं.. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका देव सांकृत्यायन जी
जवाब देंहटाएं.. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका देव सांकृत्यायन जी
जवाब देंहटाएंAnu ji,
जवाब देंहटाएंचर्चामंच का ये उपकार हे हम सब पर ,...हमे इक दूजे mila देता है
ब्लॉग तक पहुँचने और रचना को सराहने के लिए बहुत आभार बहुत ही स्नेहिल शब्दों के लिए हृदय से धन्यवाद साथ बनाये रखे
***********
************
*************
जब वो आग के गोलों में तब्दील,
अपनी मारक शक्तियों का प्रयोग करता है
धरती जलती है ..!!
बहुत ही अच्छे भाव उकेरे हैं आपने
सदियों से अकेले खड़े होकर जलने की
सजा से व्याकुल..!
वो भी कितना कराहता होगा,
:)
तने उग्र भाव से ओत प्रोत रचना के दिल में कितना शून्य सा ठंडापन
saarthak rchnaa ke liye bdhaayi
बहुत-बहुत धन्यवाद #जोया जी मुझे भी बेहद खुशी है कि मैं आप सी शख्सियत से मिल पाई..... मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, हमेशा साथ बनाए रखें सादर..💐
हटाएंसृष्टि की हर वस्तु में संवेदना तलाशना एक कवि का उत्कृष्ट रूप है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ।
.. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका आपकी प्रतिक्रिया ने मन हर लिया 💐.!!
हटाएं