रविवार, 17 नवंबर 2019

विलीन हो जाओ प्रकाश पुंज मे..,!

मौत भले ही एक रहस्य हो, इस नश्वर शरीर के सूक्ष्म तत्त्वों में, विलीन हो जाने का, प्रकाश पुँज हो जाने का, परंतु सिर्फ़ वहाँ ध्यान केन्द्रित करो, जहाँ सारी इन्द्रियाँ, एकसार हो, तुम्हारी रक्त धमनियों में, एक रिदम का सृजन करें, क्योंकि यह एक, अकाट्य सत्य है, जाना तो सबको है, उस रहस्य की परिधि में, विलीन होकर, जीवन के गणित में शून्य या फिर सौ के आँकड़े को छू लेना है...! #अनीता लागुरी 'अनु'

22 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवावार 17 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. .. जी मैं जरूर आऊंगी मेरी रचना को मान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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  2. ज़िंदगी का सार्थक पाठ पढ़ता बहुत ही सुन्दर सृजन प्रिय अनु.
    सादर

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    1. .. जी पहली बार छोटा सा प्रयास किया है मैंने आपको प्रभावित कर पाई इसकी मुझे बेहद खुशी है

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  3. उम्दा सृजन।
    दर्शन की सुगंध लिए।

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  4. जीवन के गूढ़ रहस्यों की विवेचना करती यह प्रस्तुति अच्छी है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।

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    1. . बहुत-बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम जी पर साथ ही क्षमा कीजिएगा मैं बहुत देर में आपको जवाब दे रही हूं

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-11-2019) को "सर कढ़ाई में इन्हीं का, उँगलियों में, इनके घी" (चर्चा अंक- 3523) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं….
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. .. जी रविंद्र जी मैं जरूर आउंगी मेरी रचना को मान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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  6. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन 👌

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    1. .. बहुत-बहुत धन्यवाद अनुराधा जी आपको अपने ब्लॉग पर देख कर मुझे बहुत खुशी हुई

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  7. वाह गजब तथ्य परक शाश्र्वत सी प्रस्तुति अनु जी थोड़े में बड़ा सत्य बताता सुंदर सृजन।

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  8. लौकिक उपलब्धियों की क्षण-भंगुरता और पार-लौकिक उपलब्धियों की शाश्वतता में से क्या चुनना और क्या नहीं, अगर हम यह समझ लें तो - सत्यं, शिवं, सुन्दरं की स्थापना स्वतः हो जाएगी.

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    1. .. आध्यात्मिकता के दौर से गुजर रही हूं कुछ ऐसा ही प्रतीत हुआ आपकी टिप्पणी पढ़कर बहुत-बहुत धन्यवाद इतने अच्छे विचार को साझा करने के लिए

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  9. आध्यात्म भाव ...
    शून्य से शून्य हो जाना है सब को पर लालसाएं हैं ... इन्द्रियां हैं ... जो चुनी से शून्य के बीच को विचलित करती हैं ... गहरे भाव ...

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    1. . जी बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ,आपकी प्रतिक्रिया भी आपने बहुत ही गहराई से कही है..

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  10. बिल्‍कुल ...हकीकत बयां करती अभिव्‍यक्ति .. ।

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  11. शाश्वत और सुंदर।
    बेहद उम्दा आदरणीया दीदी जी 👌
    सादर नमन 🙏

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