शनिवार, 9 नवंबर 2019

                       
                    मेरी खूबसूरत सुबह बन जाओ
                    मेरी हाथों में खनकती चूड़ियाँ,
                    मेरी  जूड़े में सजा मोगरे का फूल बन जाओ,
                    ले लो आलिंगन मैं मुझे फिर से एक बार
                    अधरों में अंकित मेरे सारे सवालों का
                             जवाब बन जाओ
                                                    अनीता लागुरी "अनु"

8 टिप्‍पणियां:

  1. तन्हा कटते नहीं अब दिन...
    वाह अनिता जी
    क्या बात है
    प्यार सच में एक दूसरे पर आश्रित होता है।

    जवाब देंहटाएं
  2. .. धन्यवाद रोहितास जी,सही कहा आश्रित होते है तब ही वो एक दूजे के पूरक बन समपूर्ण हो पाते है🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. भावनाओं से भरी रचना किसी के लिए ख्वाब ,किसी के लिए हकीकत..
    भावों का सफर जारी रहे।

    जवाब देंहटाएं
  4. सारी बेचैनियों का एक जवाब हैं आपकी कविता।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. .. जी बहुत-बहुत धन्यवाद निमंत्रण के लिए मैं जरूर आऊंगी

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह अनु जी संक्षेप में सरस शृंगार भाव ज्यों मन के एहसास।
    सुंदर बंध।

    जवाब देंहटाएं

रचना पर अपनी प्रतिक्रिया के ज़रिये अपने विचार व्यक्त करने के लिये अपनी टिप्पणी लिखिए।