शोर मचाते,
धोखेबाज बादल,
छत पर आकर,
उछल-कूद करते,
नखरीले बादल,
पास जाकर देखूँ तो,
दूर कहीं छिप जाते बादल,
विशालकाय बादल!
भावों को शब्दों में अंकित करना और अपना नज़रिया दुनिया के सामने रखना.....अपने लेखन पर दुनिया की प्रतिक्रिया जानना......हाशिये की आवाज़ को केन्द्र में लाना और लोगों को जोड़ना.......आपका स्वागत है अनु की दुनिया में...... Copyright © अनीता लागुरी ( अनु ) All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
लंबी श्वास भरी उसने और चाय की अंतिम चुसकी ली,और अपनी कमर में साड़ी के आंचल को खोसा, .....बेतरतीब ढंग से अपने बालों की छोटी सी पोनी बनाई और जुट गई घर के कामों में,... इस छोटे से ब्रेक टाइम में उसने खुद को रिचार्ज किया उसे पता था अब वह दिनभर बहुत व्यस्त रहने वाली है...!!! ये हे हमारी प्यारी अनुष्का जो शादी के 5 सालों के बाद भी एक अदने से ब्रेक के लिए तरसती रहती है..!! वो चाहती है कि जब वो चाय की प्याली के साथ बालकनी में खड़ी हो तो उसे कोई भी परेशान ना करें कोई भी उसे ना टोके ..हब्बी भी यह ना कहें अनु प्लीज मेरी टाई कहां है... ??? मेरी जुराब कहां है ?? यह बच्चे यह न कहे की मम्मी मेरी टिफिन कहां है ? बस इस आधे धंटे वो खुद को देना चाहती है ,जरा सा गुनगुना चाहती है,ये छोटा सा ब्रेक अनु के लिए..बेहद खास होता है....उसे अच्छा लगता है !!! बालकनी सेभागती दौड़ती जिंदगी को सड़कों पर उलझते देखना,और ... वहीं कोने में गमलों में उग आए मनीपंलाट के लतरौ को बिला वजह तंग करना और बालकनी में बैठकर आते-जाते लोगों को देख चाय..... की छोटी छोटीं चुस्कियां लेना और हौले से मुस्कुराकर सामने वाली शर्मा आंटी को गुड मॉर्निंग कहना...!!!
पर क्या करें वो भी इस एक पल को पाने के लिए वो सुबह के पांच बजे उठती है.....!!
पर फिर भी वो इस पर को luckly ढुंढ पाती है..!
(अब दोपहर को मिलती हुं लंच टाइम में)
अनु 🍂🍁