क्यों दिखता नहीं
एक ज़िंदा भारतीय
क्यों दिखती नहीं
भूख से कुलबुलाती
उसकी अतड़ियाँ ..!
उसकी आशायें ,
उसकी हसरतें ,
दिखती कब हैं
जब .....?
वो मर जाता है !
लोगों की आँखों पर
चढ़ जाता है ..
एक अंजुरीभर चावल के बदले ..!
घर बोरों से भर जाता है ...
टूटी खाट आँगन में सज ज़ाती है
बन सूर्खियां अख़बारों की
बाक़ियों की जुगाड़ कर जाता है।
🍂🍁🍂#अनु
चित्र साभार: गूगल ...
वाह्ह्ह...अनु जी क्या खूब लिखा है आपने...बहुत जोरदार अभिव्यक्ति... अनकहा सब कह गयी आप।
जवाब देंहटाएंबहुत पसंद आयी आपकी कविता।
जी धन्यवाद स्वेता जी,बहुत खुशी हुवी .जानकर की.आपक़ो कविता अच्छी लगी..!!!
हटाएंबहुत उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंभावुकता से परिपूर्ण
जी आभार लोकेश जी.....आपकी टिप्पणी अहम है।
हटाएंलेखक प्रेरणा देता है उस प्रेरणा से वह कार्य हो जाए तो लेखन सार्थक हो जाता है , निश्चित रूप से इस विषय पर कार्य हो रहा है आगे भी होगा .
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद विजयन् जी,आपकी टिप्पणी से न ई उर्जा का संचार हु्वा...जी धन्यवाद...!
हटाएंव्यथित मन के अन्दर की व्यथा, अतड़ियों में दबी भूख की कथा बनकर कराह उठी है। एक चेतना जगाती, मानव को मानवता की याद दिलाती ये चंद पंक्तियाँ बहुत कुछ कह गई.
जवाब देंहटाएंरचनाकार को शत् शत् बधाई
जी आभार मान्यवर, आपके आर्शीवचन से मन उत्साहित हो गया..प्रतीत हो रहा है कि भुख को लेकर की जाने वाली राजनितिक प्रंपंच से हम ,आप अन्य सभी व्यथित है...पर सिवाय अपनी भाव् प्रकट करने के अलावे अन्य मार्ग आसान नही है...एक और बार आपका धन्यवाद मेरा मार्गदर्शन करने के लिए...!!
हटाएंजीवन की सच
जवाब देंहटाएंकुछ पंक्तियों मे
उकेर देना
कम्माल है
सादर
धन्यवाद आदरणीय यशोदा जी..आपने सराहा ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है.…!!
हटाएंवाह!!अनीता जी ,बहुत सुंदर यथार्थ चित्रण।
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद शुभा जी,छोटा सा प्रयास की हुं..आप सभो की प्रतिक्रिया जान खुशी हुवी...लिखना सार्थक हुवा...।
हटाएंvery sensitive poem
जवाब देंहटाएंJi thankyou. Rinki jii...!!!
हटाएंवाह ! आपकी गहरी संवेदना को नमन अनु जी। सोइ हुई संवेदना को झकझोरकर जगाती और व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष करती बेहतरीन रचना। लिखते रहिये। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
जवाब देंहटाएंअनु जी आपकी काव्य रचनाओं के बिषयों में ताज़गी का प्राधान्य है। एक हृदयस्पर्शी रचना में आपने सहजता के साथ सरसता भर दी है। सुंदर, प्रभावशाली, भावप्रवण रचना। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
जी आभार रविंदर जी,छोटा सा प्रयास है मेरा,आप सभी गुणीजनो ने सराहा ये मेरे लिए गौरव की बात है ...आपकी टिप्पणी मेरे लिए अहम है .सदैव मार्गदर्शन बनाये रखे....!सादर आभार...!!!
हटाएंवाह ! आपकी गहरी संवेदना को नमन अनु जी। सोइ हुई संवेदना को झकझोरकर जगाती और व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष करती बेहतरीन रचना। लिखते रहिये। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
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