गुरुवार, 16 नवंबर 2017

काश...कोई दे जाता...!

एक शोर ह्रदय को झंकृत करता,
मौन-मौन मनुहार ........रचाता। 

एक  दिया  मुंडेर  पर  जलता ,
नज़्म-नज़्म  संगीत  बजाता। 

एक इंतज़ार टिक-टिक सुनाता,
देख के तुमको नंगे पैर धूल लगाता। 

एक बादल कभी  ज़रा-सा  गुस्साता,
हथेलियों में मेरी कुछ बूँदें रख  जाता। 

एक एहसास तल्ख़ी का तुम्हारा,
आँखों में  मेरी आँसू  दे जाता। 

एक शोर, एक दिया,एक इंतज़ार,
हर पृष्ठ  में  जीवन का राग उकेरता। 

#अनु

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