बुधवार, 1 नवंबर 2017

वो पगली,

,,🍂🍁🍀

अक्सर गली के चौराहे पर.....!

वो घूरती नीली-सी नज़र

ठिठका जाती कदमों को मेरे....!

एक पल को जड़ हो जाता मैं....

और लगता चोरी से.....

निहारने उसे,

वो बिखरे बालों वाली

फटे चिथड़ों  से,

तन को लपेटने वाली....!

यौवन की ओर अग्रसर

वह पगली मुझे...!

अनायास ही खींच लेती..अपनी ओर.!

और मैं बावरा,

पल में  उसके रोने,

पल में  उसके हँसने की

जादूगरी को देख..!

मन ही मन मुस्करा देता

और पास जाकर पूछ बैठता

रोटी खाई तुमने...?

क्या तुम्हें भूख लग रही है..?

और वो........

न जाने कौन सी  अक्षुण

अनुभुति लिए कहती मुझसे...

धत्त बाबू...!!!

#अनु 🌺🍂🍂🍁

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