भावों को शब्दों में अंकित करना और अपना नज़रिया दुनिया के सामने रखना.....अपने लेखन पर दुनिया की प्रतिक्रिया जानना......हाशिये की आवाज़ को केन्द्र में लाना और लोगों को जोड़ना.......आपका स्वागत है अनु की दुनिया में...... Copyright © अनीता लागुरी ( अनु ) All Rights Reserved. Strict No Copy Policy. For Permission contact.
शुक्रवार, 2 मार्च 2018
कश्मकश ...!
शनिवार, 24 फ़रवरी 2018
प्रश्न,...!!
तीखे से ,मीठे से,कुछ उलझे से
कुछ जज्बाती से,
तो कुछ हमेशा की तरह अनुत्तरित से।
यहां कुछ प्रश्न..?
मां से अपनी...?
क्यो लड़के की चाह में,
मुझे अजन्मे ही मारने चली..?
बिना किसी भय के ,
सींचती रही रक्त से अपने..!
सुनाती रही लोरी,
और सहलाती रही
उदर को अपने...!!
मुझ खुन के टुकड़े को
नख, शिख ,दंत से क्यों
सांवारती रही...?
और करती रही मजबूत
रिश्ता हमारा,
मां....?
किसने तुझे कमजोर बनायां
किसने तुझे कहा,
लड़के ही वंश बड़ाते है,
ये मुई लड़कियां तो बस बोझ होती है।
एक बार आने तो दिया होता,
दुनिया में तुम्हारी,
पर ....!
मेरी मां,
लड़ जाती मेरी खातिर सबसे
और रख ये प्रश्न....!
पुछती सबसे...!
क्या हुआ जो गर ये
लड़की है...!
मैं लाउंगी इसे
इस दुनिया में..!
इसे जीने का अधिकार
मैं दुंगी..!
और छोड़ दिया मुझे अकेला।
और मैं बिना जन्मे ही
चल दी , तुम्हारी दुनिया से दुर..!
मैंने भी पुछ लिया ये
प्रश्न ..!
ना जाने फिर कभी
मौका मिले या नहीं,
इस अजन्मे बच्चे को
तुमसे संवाद का ...?
..
बुधवार, 21 फ़रवरी 2018
शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018
सिस्टम से दुबका हाथी,
एक छोटा हाथी
मेरी किताब के चित्रों में दूबका,
अक्सर मुंह चिढ़ाता है मुझे..!
चाहा उसे कई बार
बाहर निकाल लाऊं,
पर है वो टेढ़ा बड़ा
मुझसे ही कहता है...!
तुम्हें खाने को अनाज नहीं..?
भला मुझे निकालकर
क्या खाक खिलाओगी....?
और मुझे भूखे रहने की आदत नहीं
गुस्से में मार दूंगा अगर किसी को
मेरी हत्या,हत्या कहलाएंगी,
पर तेरी काले कोट में छिप जाएगी।
बाकियों को तो दे रखे हे हत्या का हथियार,
पर मुझे पकड़ ले जाओगे..!;
अगर कुछ बोला मैं खिलाफ तुम्हारे,
लगाके देशद्रोह का इल्जाम...!
बना दोगे लोकतंत्र का हत्यारा बड़ा..!
फिर भी तुम नहीं मानोगे
करवाओगे जबरदस्ती मुझसे
अपनी बात मनवाओगे,
जो ना मानी तुमरी मैंने,
बिन मौत मर जाउंगा।
या हाथ पर हाथ धर कर,
किसी कोठरी में फेंकवा दिया जाउंगा..!
फिर भी नहीं मानोगे तुम..?
भेज के अंध भक्तों की टोल
चौराहों में खून ही खून फैलावगे
युवाओं को कर अंधा
सिस्टम के गंदे बोल सिखाओगे
हां मैं आहत हूं
नजर में भले ही तुम्हारी एक छोटा अदना-सा हाथी हूं,
पर बात पते की करता हूं..!!
रहूं किताबों में सुरक्षित बनके छोटा सा हाथी
दुनिया जहान के षड्यंत्रों से दूर
शांति और सुख से भरपूर
कह लो कायर भले तुम मुझे
पर मेरे अंदर की दुनिया तुमसे लाख भली है
अनु 🍁 🍂🍁
बुधवार, 14 फ़रवरी 2018
वैलेंटाइन-डे
ना जाने किस पाश्चात्य प्रभाव भी आकर
प्रेम दिवस के नामकरण करते चले गए
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... ..हर किसी की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जब उसकी जिंदगी किसी की चाहने या न चाहने पर निर्भर हो जाती है ओर उस वक्त इंसान बिखरने लगता ह...
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आज फिर तुम साथ चले आए घर की दहलीज़ तक..! पर वही सवाल फिर से..! क्यों मुझे दरवाज़े तक छोड़ विलीन हो जाते हो इन अंधेरों मे...