गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

तुम्हारे कहने से चलो मुस्कुरा देती हूँ..!

                                       
मुझे आती नहीं
मुस्कुराहट  तुम्हारी  तरह
न ही आती है                                                आँखों को नीचेकर 
शरमाने की कला
मेरी संवेदनाएं तो यहीं से
झाँकतीं हैं
बस जहां तक देख पाऊँ
उतने ही ख़्वाब बुनती हूँ
देख रही हो...
कटे-फटे हाथों  की मेरी लकीरों को
इनमे धंसी  इस माटी को
ये कहती हैं मुझसे
हमें  तुम पर गर्व  है
तुम भूख को मात देती हो
अपने चेहरे पर 
दौड़ने  वाली मुस्कान से
और तुम कहती हो..?
आप ऐसे देखो तो
तस्वीर अच्छी आएगी
क्या अच्छी... क्या बुरी
...!
बस  तुम्हारे  तस्वीर लेने से
मेरे माथे से बह रही
पसीने की बूँदें 
मेरी क़िस्मत को
नहीं  बदलेगी
पर बिटिया ...!
तुम्हारे कहने से चलो
मुस्कुरा देती हूँ..!
#अनीता लागुरी ( अनु )

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