शुक्रवार, 6 मार्च 2020

मैं तेरी सोन चिरैया


 मैं तेरी सोन चिरैया
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 ओ मैया मेरी, मैं तेरी सोन चिरैया
 छोड़कर तेरा अँँगना
 उड़ जाऊंगी फुर्र से कहीं
ले बांध दें तागा  मेरे पैरों पर
 फिर ना जाऊँँगी कहीं

 तेरे मनुहार से
 बाबा के लाड - प्यार से
गिर कर उठती रही कई बार मैं
 ओ मैया मेरी, मैं तेरी सोन चिरैया
 अंगना को तेरी छोड़ कर
 फुर्र से से उड़ जाऊँँगी कहीं

 याद है मुझको
 बाबा से जब मार पड़ी थी
मैं तो रोई थी रुक रुक कर
पर तेरी आंखें वीरान पड़ी थी
ओ मैया मेरी मैं तेरी सोन चिरैया
 ना जता इतना स्नेह
जब जाऊँँगी छोड़कर तुझे
क्या तू  रोक  पायेगी मुझे

ये अँगना छूटेगा
 खेत खलिहान छूटेंगे
 अमिया की डलियाँ में बांधी बाबू की
रस्सी वाली झूला  छूटेगी
सखियाँँ, तेरी डाँँट- फटकार
सब छोड़ कर उड़ जाएगी तेरी सोन चिरैया एक दिन

 घर को तेरे सुना करके
 पिया का घर बसाऊँँगी
 अब तक तेरी दुलारी थी
अब उस घर की सोनचिरिया कहलाउँँगी


अनीता लागुरी"अनु"