tag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post357873582978978348..comments2023-06-15T18:51:23.539+05:30Comments on अनु की दुनिया : भावों का सफ़र : संवाद में प्यार क़ाएम रहता हैAnita Laguri "Anu"http://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-71316546130713977342019-11-14T17:48:14.229+05:302019-11-14T17:48:14.229+05:30बिम्ब और भाव का शब्दिक अवतरण दोनों बेमिसाल ......बिम्ब और भाव का शब्दिक अवतरण दोनों बेमिसाल ......संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-3828590942517105462019-11-13T22:55:48.619+05:302019-11-13T22:55:48.619+05:30प्रखर प्रेम को परिभाषित करती बेहतरीन अभिव्यक्ति प्...प्रखर प्रेम को परिभाषित करती बेहतरीन अभिव्यक्ति प्रिय अनु. <br />योंही लिखती रहो. <br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-23044796239888108302019-11-13T11:54:00.049+05:302019-11-13T11:54:00.049+05:30प्यार करने का तरीक़ा भले ही बदल जाय मगर कुछ रिश्तों...प्यार करने का तरीक़ा भले ही बदल जाय मगर कुछ रिश्तों में प्यार कभी नहीं बदलता है।<br /><br />बिल्कुल सही कहा अपने पर अफसोस ये बात हर कोई समझ नही पाता समय रहते।<br />आभारdr.sunil k. "Zafar "https://www.blogger.com/profile/13096911048421117572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-12458633553067890402019-11-12T11:16:17.524+05:302019-11-12T11:16:17.524+05:30.. बहुत-बहुत धन्यवाद शशि जी... सही कहा आपने भावों ..... बहुत-बहुत धन्यवाद शशि जी... सही कहा आपने भावों के सफर में एक ऐसा पड़ाव भी आता है जब हम प्रकृति और ईश्वर से संवाद स्थापित कर के खुद के अधूरेपन अकेलेपन को दूर करने का प्रयास करते हैं बहुत ही अच्छी टिप्पणी धन्यवाद आपका..!!Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-65018769584570675062019-11-12T11:13:52.418+05:302019-11-12T11:13:52.418+05:30बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर सर जी,सही कहा आप ने प्रेम...बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर सर जी,सही कहा आप ने प्रेम छोटी छोटी चीजों में समाहित है..गुजरते वक़्त के साये में सिर्फ लम्हात ही तो जीते है..क्या रह जायेगा पीछे ,चलो कुछ आगे चलते है..छोटी मगर बहुत प्रभावित हुई आपकी प्रतिक्रिया से ..ऐसे ही मार्गदर्शन ओर सहयोग की अपेक्षा रखूंगी...बहुत बहुत धन्यवाद ..आपका🙏Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-83737475657141689142019-11-12T10:23:33.481+05:302019-11-12T10:23:33.481+05:30मैं भी प्रकृति से संवाद स्थापित करुँगी"
- भ...मैं भी प्रकृति से संवाद स्थापित करुँगी"<br /> - भावों के सफर में एक पड़ाव ऐसा भी आता है, जब हम प्रकृति एवं ईश्वर से संवाद स्थापित कर स्वयं के अधूरेपन को दूर करते हैं। <br /> आपकी प्रथम लघुकथा भावपूर्ण रही..।<br />प्रणाम।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-16318243073814888482019-11-12T09:45:08.418+05:302019-11-12T09:45:08.418+05:30सहमत आपकी बात से अनु जी ...
प्रेम कई बार छोटी छोटी...सहमत आपकी बात से अनु जी ...<br />प्रेम कई बार छोटी छोटी खुशियों में होता है ... आपसी व्यवहार में होता है ... लम्हा तो जाना है जो आता है पर अगर उसे ख़ुशी के साथ जी लिया तो वो यादगार हो जाता है ... चाय में चीनी न होने से ज्यादा उस समय का आनद, उस समय के शब्द है जो याद रहते हैं ... स्वाद तो पीते वक़्त है बस .... चाय ख़त्म स्वाद गया ... <br />बहुत गहरी बात है इन पंक्तियों में अगर समझ आ गया तो जीवन आनद है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-56822473389182993632019-11-12T06:53:23.399+05:302019-11-12T06:53:23.399+05:30. जी आदरणीय शास्त्री जी निमंत्रण हेतु बहुत-बहुत आभ.... जी आदरणीय शास्त्री जी निमंत्रण हेतु बहुत-बहुत आभार ...में जरूर आऊंगी..Anita Laguri "Anu"https://www.blogger.com/profile/10443289286854259391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5816556364719332080.post-18436166625084921812019-11-12T06:44:54.936+05:302019-11-12T06:44:54.936+05:30आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019)...आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-11-2019) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "गठबन्धन की नाव" (चर्चा अंक- 3518) </a> पर भी होगी। <br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। <br /> --<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' <br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com